Tuesday, March 8, 2016

देखो बादलों का दिल टूट रहा है!

देखो बादलों का दिल टूट रहा है

कोई बंदिशों से लड़ रहा है
कोई बंधन संजो रहा है
पर रेत गीली होती है
तो बह जाती है
और मिट्टी समन्दर को भी कैद कर लेती है

दिल में जो उमड़ रही है
वो हसरत है
छलक कर बहती है तो आँसू हैं
सिमट कर रहती है तो आह है
कोई बिलख के सो जाता है
कोई सिसक के सहम जाता है

आसमान की पेशानी पे
उसके नूर का इंतज़ार है
जो कशमकश की सिलवटे
सहला के बिठा दे
किसी को जगाना है
किसी ने दूर जाना है।

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