Tuesday, May 12, 2015

Tere saath ka suroor hai....

तेरे साथ का सुरूर है
 हर बात से बहका हूं मैं
तू चांद है हर रात का
और अंगार सा दहका हूं मैं
नशा मेरी आदत नहीं
फिर भी किया करता हूं मैं
गर गिरूं तो तुझमें गिरूं
वरना संभल चलता हूं मैं
तुझे इश्क गवारा नहीं
मेरा दर्द आवारा नहीं
तू न मिला कोइ गम नहीं
तेरी महक से महका हूं मैं.. 

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