कल रात तेरी याद ने सोने न दिया
सपना बनके तूने मुझे रोने न दिया
इस महफिल में तेरे दीदार का अंजाम यूं होगा
अाज रात भी आंखों का अरमान तू होगा
तेरी बेरुखी पर भी हमें प्यार आता है
इक़रार लगता है जब तेरा इन्कार आता है
कभी तो बहकेंगे तेरे जज़्बात ऐ सनम
जीते हैं रोज़ रख कर ऐसा इक वहम
रात तेरे आगो़श में चैन से सोने का
हर सुबह वही एक ख्वाब सजाता हूं
किस रोज़ मेरी रूह का आगाज़ तू सुन ले
ऐ चांद तेरी चौखट पे बादल बन के आता हूं.....
सपना बनके तूने मुझे रोने न दिया
इस महफिल में तेरे दीदार का अंजाम यूं होगा
अाज रात भी आंखों का अरमान तू होगा
तेरी बेरुखी पर भी हमें प्यार आता है
इक़रार लगता है जब तेरा इन्कार आता है
कभी तो बहकेंगे तेरे जज़्बात ऐ सनम
जीते हैं रोज़ रख कर ऐसा इक वहम
रात तेरे आगो़श में चैन से सोने का
हर सुबह वही एक ख्वाब सजाता हूं
किस रोज़ मेरी रूह का आगाज़ तू सुन ले
ऐ चांद तेरी चौखट पे बादल बन के आता हूं.....
No comments:
Post a Comment