तेरी इबादत में सजे हैं
तू न भी सुने फिर भी
मेरे जज़्बात बजे हैं
बढ़ता घटता है ये जूनून
मिटता नहीं है
फैलता सिकुड़ता है ये एहसास
सिमटता नहीं है
पत्थर की लकीरें हैं
बारिशों मैं नहीं धुलती
तमन्नाओं की जंजीरें हैं
शराबों में नहीं घुलती
दिल रुक रुक के
फिर चल जाता है
वक़्त थमता नहीं
सूरज फिर ढल जाता है
रात होते ही
ख्वाब मचलने लगते हैं
तेरी याद आये ना आये
आँखों में पिघलने लगते हैं
बूँद बूँद करके
एक जाम बनाता हूँ
तन्हाई से टकरा के
फिर गटक जाता हूँ
नशा होता है
बेहोश फिर भी नहीं होता
दर्द होता है
जोश फिर भी नहीं खोता
इस कहानी को रोज़
यूँ ही दोहराता हूँ
हर अल्फ़ाज़
तेरी शान में सजाता हूँ....
तू न भी सुने फिर भी
मेरे जज़्बात बजे हैं
बढ़ता घटता है ये जूनून
मिटता नहीं है
फैलता सिकुड़ता है ये एहसास
सिमटता नहीं है
पत्थर की लकीरें हैं
बारिशों मैं नहीं धुलती
तमन्नाओं की जंजीरें हैं
शराबों में नहीं घुलती
दिल रुक रुक के
फिर चल जाता है
वक़्त थमता नहीं
सूरज फिर ढल जाता है
रात होते ही
ख्वाब मचलने लगते हैं
तेरी याद आये ना आये
आँखों में पिघलने लगते हैं
बूँद बूँद करके
एक जाम बनाता हूँ
तन्हाई से टकरा के
फिर गटक जाता हूँ
नशा होता है
बेहोश फिर भी नहीं होता
दर्द होता है
जोश फिर भी नहीं खोता
इस कहानी को रोज़
यूँ ही दोहराता हूँ
हर अल्फ़ाज़
तेरी शान में सजाता हूँ....
fantastic..... :)
ReplyDeleteThanks Vikas!
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