ज़िन्दगी तेरी ज़िद्द के
किस्से तमाम है
न तू आम है
न हम आम हैं.
कुछ खास सा लगा था
जब तुझसे दिल मिला था
हर लम्हा आशिकी था
जब तुझमें मैं रमा था
इस रहग़ुज़र से गुज़रे
हम सुबह शाम हैं
न तू आम है
न हम आम हैं.
आता है याद ख्वाबों में
तेरा और बढ़ते आना
कभी तेरा यूँ झिड़कना
कभी मेरा यूँ मनाना
गरीब की तिजोरी
पर फिर भी शान है
न तू आम है
न हम आम हैं.
हमराह मेरे तुझसे
शिकायत तो थी मुझे
तेरे पास न होने की
आदत भी थी मुझे
मंज़िल तक न चला
फिर भी साथ तो चला
कुछ देर के लिए ही
तू अपना सा लगा
समझाया बहुत खुद को
फिर क्यों परेशान है
ज़िन्दगी तेरी ज़िद्द के
किस्से तमाम हैं
न तू आम है
न हम आम हैं.
किस्से तमाम है
न तू आम है
न हम आम हैं.
कुछ खास सा लगा था
जब तुझसे दिल मिला था
हर लम्हा आशिकी था
जब तुझमें मैं रमा था
इस रहग़ुज़र से गुज़रे
हम सुबह शाम हैं
न तू आम है
न हम आम हैं.
आता है याद ख्वाबों में
तेरा और बढ़ते आना
कभी तेरा यूँ झिड़कना
कभी मेरा यूँ मनाना
गरीब की तिजोरी
पर फिर भी शान है
न तू आम है
न हम आम हैं.
हमराह मेरे तुझसे
शिकायत तो थी मुझे
तेरे पास न होने की
आदत भी थी मुझे
मंज़िल तक न चला
फिर भी साथ तो चला
कुछ देर के लिए ही
तू अपना सा लगा
समझाया बहुत खुद को
फिर क्यों परेशान है
ज़िन्दगी तेरी ज़िद्द के
किस्से तमाम हैं
न तू आम है
न हम आम हैं.
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